Saturday, 12 July 2014

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान 7...

मित्रों  में  यहा  पर  उत्तराखंड  के  राजकीय  चिन्हों  के  बारे  में  आप  को  बताने  जा   रहा  हूँ  आशा  करता   हूँ  की   ये  आपके  लिए  उपयोगी  साबित   हो ...  
  


1  -                                                  राज्य  चिन्ह 
           
    उत्तराखंड  का  राज्य  चिन्ह  में  उत्तराखंड  की   भौगोलिक   स्वरूप  की  झलक  मिलती   है  इस  चिन्ह  में  अक  गोलाकार  मुद्रा  में  तीन  पर्वत श्रृखला  और  उसके  नीचे  गंगा  की   4  लहरों  को  दर्शाया  गया  है  और  मध्य  में  अशोक  की  लाट  स्थित  है  और  अशोक  की  लाट   के  निचे  मुण्डकोपनिसद  से  लिया  गया  वाक्य "सत्यमेव  जएते " लिखा  गया  है और  उत्तराखंड  के  सभी  दस्तावेजो  में   इस  का  उपयोग  किया  जाता  है  




 2 -                                         राज्य  - पुष्प    - ब्रह्मकमल
 
        मध्य  हिमालयी  क्षेत्र  में 3600 से  4500  मीटर  की  उचाई  पर  पाए  जाने  वाले  ब्रह्मकमल  को  राजकीय  पुष्प  घोषित  किया  गया  है  , यह  ऐसेटेरसी  कुल  का  पौधा  है  उत्तराखंड  में  इसके  24  प्रजाति  पायी  जाती  है स्थानीय  भाषा  में  इसे  कौंलपदम  कहते  है    
 महाभारत  के  वनपर्व  में  इसे  सौगंधिक पुष्प  कहा  गया  है  इसमें  जुलाई  से  सितम्बर  के  मध्य  में  फूल  खिलते  है  इस  पुष्प  का  रंग  बैगनी  रंग  का  होता  है 





3 -                                     राज्य - वृक्ष      - बुरांस

  बसंत  के  मौसम  में  अपने  रंग - बिरंगे  फूलों  से  उत्तराखंड  की  सौंदर्य  को  और  अधिक निखार  देने  वाले  सदाबहार  वृक्ष  बुरांस   को  राज्य  का  राज्य  वृक्ष  घोषित  किया  गया  है  /   यह  एक  विशुद्ध  रूप  से   पर्वतीय  वृक्ष  है  . जिसे  मैदान  में  नहीं  उगाया  जा  सकता  है /  11  हजार  की  उचाई  पर  सफ़ेद  रंग  के  बुरास  पाए  जाते  है  /
   औषधीय  गुणों  से  युक्त  बुरांश  का  फूलों  का  जूस  ह्रदय  रोगों  के  लिए   बहुत  ही  लाभकारी  है   इसके  फूलों  से  रंग  भी  बनया  जाता  है  बुरांश  के  अवैध  कटान  के  कारण  वन  अधिनियम 1974  में  इसे  संरक्षित  वृक्ष  घोषित  किया  है  लिकिन  इसके  बाद   भी  बुरांश  वृक्ष  का  संरक्षण  नहीं  हो  पा  रहा  है /






4 -                                        राज्य  - पशु   - कस्तूरी   हिरण
           
           उत्तराखंड  सरकार  ने   सदैव  बर्फ  से  ढके   हिमशिखरों  पर   पायें  जाने  वाले   कस्तूरी   हिरण  को  राज्य   पशु  घोषित  किया  है  /
  इसे  हिमालयन  मस्क  डियर  के  नाम  से  जाना  जाता  है
इस  का  रंग  भूरा  होता  है  जिस  पर  काले - पीले  धब्बे  पाए  जाते  है /
इसके  एक  पैर  में  चार  खुर  होते  है  इसकी  सूंघने  की  शक्ति  बहुत  तेज  होती  है /
आत्मरक्षा  के  लिए  इनमे  सींग  के  बजाय  दो  बड़े - बड़े  दंत  होते  है  जो  बाहर  की  ओर   निकले  होते  है  इनकी  औसत  आयु  20  वर्ष  होती  है   मादा  हिरण  की  गर्भधारण
  की  अवधि  6  माह  होती  है  एक  बार  में  एक  हिरण  का  जन्म  होता  है  /
कस्तूरी  सिर्फ  नर  हिरण  के  नाभि  में  होता  है   कस्तूरी  द्रव   के  रूप  में  होता  है  जो  एक  बार  में  30  से  45 ग्राम  तक  पाया  जाता  है /  कस्तूरी  से  कई  प्रकार  की  औषधीयां  बनाई  जाती  है /  1982  में  चमोली  जिले  के  कंचुला  खर्क   में  एक   कस्तूरी  हिरण  प्रजनन   एवम  संरक्षण  केंद्र  की  स्थापना  की  गई  है  /


   



5 -                                        राज्य - पक्षी   - मोनाल 

हिमालयी  मयूर  के  नाम  से  प्रसिद्ध  मोनाल  को  राज्य - पक्षी  घोषित  किया  गया  है /  मोनाल  तथा  डफीया  एक  ही  प्रजाति  के  पक्षी  है  लेकिन   मोनाल   मादा   पक्षी  है  तथा  डफीया  नर  है   हिमांचल  प्रदेश का  राज्य  और  नेपाल  का  राष्ट्रीय  पक्षी  भी  मोनाल  है   इसे  स्थानीय  भाषा  में  मुनाल  या  मन्याल  के  नाम  से  जाना  जाता  है  मोर  की  तरह  इसके  सर  में  एक  कलगी  होती  है   यह  अपना  घोसला  नहीं  बनती  है  इसका  प्रीय  आहार  आलू  है /  यह  आलू  की  फसल  को  बहुत  नुकसान  पहुचता  है


               
                                                          

No comments:

Post a Comment